Sunday, May 8, 2022

📍 #गीता_की_महत्ता 📍*

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📍 *गीता एक विशाल रत्नाकर है।। इस रत्नाकर में गीता लगाकर बहुतों ने बहुमूल्य रत्न निकाले हैं।। गीता त्रिवेणी संगम है।। इसमें ज्ञान गंगा,, कर्म यमुना तथा उपासना सरस्वती की विमल धाराएँ आकर एकत्रित हुईं हैं।। इस त्रिवेणी में स्नान करने वाले को ज्ञान सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा वह जीवन मुक्त होकर परम पद प्राप्त कर लेता है।।*
📍 *गीता एक अखंड ज्योति वाला प्रज्जवलित दीप है।। यह प्रदीप भारत मंदिर में प्रज्जवलित है,, किन्तु प्रकाश समस्त संसार में करता है।।*
📍 *गीता एक परिष्कृत,, स्वच्छ,, बहुमूल्य दर्पण है।। इस दर्पण में अपने यथार्थ स्वरूप को देख तथा समझ सकता है।।*
📍 *गीता एक मोक्ष मंदिर की एक अपूर्ण कुंजी है।। इसके द्वारा अर्जुन तो स्वयं मोक्ष मंदिर पहुँच गये,, उनके पीछे भी अनेक मुमुक्षु उसी कुंजी को लेकर भव सागर से पार उतर गये।।*
📍 *गीता अमृत तुल्य एवं पुष्टिकारक मधुर पय (दूध) है।। यह पय उपनिषद रूपी कामधेनु के धर्म,, कर्म,, काम और मोक्षरूपी चार स्तनों से निकाला गया है।। इसे दूध निकालने वाले गोपालनंदन भगवान श्रीकृष्ण हैं,, वत्स (बछड़ा) भगवान श्रीकृष्ण के मित्र अर्जुन हैं।।*
📍 *गीता ब्रह्मविद्या है,, गीता का दूसरा नाम ज्ञान गंगा भी है।। इसमें जो गोता लगाता रहता है,, उसकी संपूर्ण अविद्या नष्ट हो जाती है और वह दिव्य स्वरूप को प्राप्त होकर अक्षय,, अमर बन जाता है।।*
📍 *गीता भगवान का हृदय है।। "गीता मे हृदयं पार्थ" भगवान के हृदय में अनंत ज्ञान का भंडार है।। अतएव गीता में भी वही है।। जो गीता की सेवा करेगा,, वह अनंत ज्ञान का भागी बनेगा।।*
📍 *गीता एक अपूर्व ग्रंथ है,, इसमें दिव्य अमर संदेश,, सर्वश्रेष्ठ उपदेश है।। यह उपदेश सर्व जाति,, वर्ण,, आश्रम,, संप्रदायों के लिए समान भाव से उपयोगी है।। मानवजाति का सनातन धर्मोपदेश है।। सार्वभौम संदेश है।।*
📍 *संक्षेपतः गीता इस जगत का अमर फल है।। संसार सागर का आलोकस्तंभ है ।। मानव जीवन का पथ प्रदर्शक है।। शास्त्रों उपनिषदों का सार है,, वेदों का तत्व है।। एक अपूर्व ग्रंथ रत्न है।। इसके सदृश ग्रंथ इस संसार में न हुआ और न होगा।। चाहे किसी देश,, किसी भाषा,, किसी जाति,, किसी संप्रदाय या मत को मानने वाला विद्वान हो,, मुक्त कंठ से गीता की प्रशंसा करता है।।*
📍 *"गीता सुगीता कर्त्तव्या किमन्यैः शास्त्र विस्तरैः"।। गीता अध्ययन ही सर्वथा कर्तव्य है,, अन्य शास्त्रों के विस्तार की क्या आवश्यकता है??*
📍 *गीता एक कल्पतरू है।। इसका मूल वेद रूपी सरस दृढ़ स्थिति है।। इसमें कर्म, उपासना और ज्ञान कांड नामक तीन कांडों में यज्ञ,, दान,, तप,, योग अनेक प्रशाखाएँ हैं और शांति,, दांति,, उपरति आदि पत्र हैं।। यह वृक्ष सदैव ही फल देता है,, जिनके नाम धर्म,, अर्थ,, काम और मोक्ष हैं और चार प्रकार के भक्त आर्त,, जिज्ञासु,, अर्थार्थी तथा ज्ञानी इन चारों भलों का सेवन करते हैं।।*
📍 *हमें गीता जयंती के अवसर पर इस संसार रूपी भव सागर से पार लगाने वाले महान ग्रंथ गीता की शरण में जाकर त्रय तापों से मुक्ति पाने के प्रयास करने चाहिए।।*

वाराणसी में मां गंगा के 108 पावन तट में दस सहस्त्र युवाओं द्वारा सामुहिक सूर्यार्घ्य दान कार्यक्रम

 || वाराणसी, उत्तर प्रदेश ||

दिनांक *7 एवं 8 मई 2022* को देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के *प्रतिकुलपति आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी* अपने *उत्तर प्रदेश प्रवास में भगवान भोलेनाथ की पावन नगरी काशी* में पहुंचे। वे *वाराणसी में मां गंगा के 108 पावन तट में दस सहस्त्र युवाओं द्वारा सामुहिक सूर्यार्घ्य दान कार्यक्रम* में पहुंचे थे। *सायंकाल दीप महायज्ञके अवसर पर राजघाट पर आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी ने हजारों गायत्री परिजनों एवं विभिन्न संगठनों से आए भाई बहनों को मां गंगा को अविरल निर्मल बनाए रखने के लिए संकल्पित किया।* इस पावन अवसर पर उन्होंने *काशी विश्वनाथ के दर्शन कर विश्व मानवता के लिए शांति और उन्नति की कामना की।*
*प्रस्तुत है कुछ झलकियां।*














अखंड ज्योति - मई 2022 ( हिंदी )

 अखंड ज्योति - मई 2022 


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Wednesday, May 12, 2021

किसी को कुछ देने की इच्छा हो,तो आत्म विश्वास जगाने वाला प्रोत्शाहन सर्वोत्ताम उपहार है

📍 #गीता_की_महत्ता 📍*

  * #गीता_की_महत्ता * *गीता एक विशाल रत्नाकर है।। इस रत्नाकर में गीता लगाकर बहुतों ने बहुमूल्य रत्न निकाले हैं।। गीता त्रिवेणी संगम है।। ...